बेरंग बचपन
बेरंग बचपन
जब बैठती हू अकेले में तो एक मंजर याद आता है,
वह मंजर ही था या ...........सच ये समझ नहीं आता है |
अगर ये सच है ... तो शर्मसार है मानवता ,
देखा था मैंने दो बच्चो को आपस में लड़ते हुए ,
इस मायूस जिन्दगी में अपनी हंसी से रंग भरते हुए |
न तो थे बदन पे कपड़े और न ही था सर पर किसी का हाथ ,
फिर भी चल पड़े थे इस अंजान दुनिया में एक - दूजे के साथ |
बच्चे तो होते है खुदा का रूप ... न होती है उनमे कोई खोट ,
उन्हें न पता था की ये जालिम दुनिया देगी उन्हें हर कदम पर एक चोट |
"क्यों गरीबी होती है इतना बड़ा अभिशाप ,
तो ये अभिशाप समझ नहीं आता है |"
जब बैठती हू अकेले में तो एक मंजर याद आता है,
वह मंजर ही था या ...........सच ये समझ नहीं आता है |
अगर ये सच है ... तो शर्मसार है मानवता ,
है एक मानव और जानवर में भी फर्क ...
तो ये फर्क समझ नहीं आता है |
देखा था मैंने दो बच्चो को आपस में लड़ते हुए ,
इस मायूस जिन्दगी में अपनी हंसी से रंग भरते हुए |
न तो थे बदन पे कपड़े और न ही था सर पर किसी का हाथ ,
फिर भी चल पड़े थे इस अंजान दुनिया में एक - दूजे के साथ |
बच्चे तो होते है खुदा का रूप ... न होती है उनमे कोई खोट ,
उन्हें न पता था की ये जालिम दुनिया देगी उन्हें हर कदम पर एक चोट |
"क्यों गरीबी होती है इतना बड़ा अभिशाप ,
तो ये अभिशाप समझ नहीं आता है |"
है एक मानव और जानवर में भी फर्क ...
तो ये फर्क समझ नहीं आता है |
जिस उम्र में होने चाहिए थे उनके हाथो में खिलौने ,
फिर किसने छीन लिए उनके ये सुंदर सपने सलौने |
कोई छोड़ देता है इन्हें मंदिरों की सिढियो पर ,
तो कोई फेंक देता है अपनी बदनसीबी समझकर |
"क्यों कोई समझता ही नही ये है इश्वेर का ही अंश ,
ये सच समझ नहीं आता है |"
है एक मानव और जानवर में भी फर्क ...
तो ये फर्क समझ नहीं आता है |
चाहते है वो हमसे बस कुछ प्यारी सी मीठी सी पुचकारिया,
बदले में फिर क्यों देते है हम उन्हें सिर्फ गालिया ही गालिया |
हर भाषण में एक नेता एक वक्ता ये कहता है ........
बाल मजदूरी है अपराध इसे रोको |
"फिर क्यों उन्ही के घरो में मिल जाते है
अक्सर ये बदनसीब ,ये सच समझ नहीं आता है "
है एक मानव और जानवर में भी फर्क ...
तो ये फर्क समझ नहीं आता है |
आखिर क्यों? हम इस जिन्दगी में दोहरे रूप रखते है
एक पल देवता तो दूजे पल हैवान क्यों बनते है ?
"ऐसा भी होता है परिवर्तन तो यह परिवर्तन समझ नै आता है |"
है एक मानव और जानवर में भी फर्क ...
तो ये फर्क समझ नहीं आता है |
ये भी है किसी बगिया की कालिया
इन्हें फूल बन्ने से पहले मत तोड़ो ,
यही है हमारे देश का भविष्य
इन्हें अंधकार में तो मत धकेलो|
excellent Archana ji.....
ReplyDeletetahnx kumar..............
ReplyDeleteम श्री एडम्स केविन, Aiico बीमा ऋण ऋण कम्पनी को एक प्रतिनिधि हुँ तपाईं व्यापार को लागि व्यक्तिगत ऋण चाहिन्छ? तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण दस्तावेज संग अगाडी बढन adams.credi@gmail.com: हामी तपाईं रुचि हो भने यो इमेल मा हामीलाई सम्पर्क, 3% ब्याज दर मा ऋण दिन
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